"अपने जज़्बात को अल्फ़ाज़ में
तब्दील करना ही शायरी है।"
भले ही किसी गैर की जागीर थी वो,
पर मेरे ख्वाबों की भी तस्वीर थी वो,
मुझे मिलती तो कैसे मिलती,
किसी और के हिस्से की तक़दीर थी वो
Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,,
Qasam tumhari tumhen itna pyar karte hain..
रिश्तों की ख़ूबसूरती एक दूसरे की बातें बर्दाश्त करने में है,
ख़ुद जैसा इन्सान तलाश करोगे तो अकेले रह जाओगे।
तुम्हारी दुनिया से चले जाने के बाद
हम तुम्हें हर एक तारे में नजर आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर बार टूट जाया करेंगे