“प्यार भी कितना अजीब होता है न,
वो चाहे कितनी भी तकलीफ दे पर सुकून
उसी के पास मिलता है।”
चिराग कोई जलाओ की हो वजूद का एहसास,
इन अँधेरों में मेरा साया भी छोड़ गया मुझको !!!
कुछ लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ |
अब तुम याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,
हसते लबों से ऐसे सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ |
बोलो है कोई वकील ऐसा इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता सके मुझको
ना चाँद की चाहत
ना सितारों की फरमाइश
हर जन्म में तू मिले
मेरी बस यही ख्वाहिश