दिल ए नादाँन तुझे हुआ क्या है !!!
आख़िर ईस दर्द कि दवा क्या हैं ॥॥॥
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
रोज़ ये दिल बेकरार होता है,काश के तुम समझ सकते कीचुप रहने वालो को भी किसी से प्यार होता है...
खैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब,मैं अपने दुखों में रहता हु नवावो की तरह...
उड़ने दे इन परिंदों को आज़ाद फिजां में ‘गालिब’जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएँगे