हमने खड़े-खड़े साहिल पर शाम कर दी,
अपनी दुनिया आप के ही नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ये ज़िंदगी,
बिना सोचे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।
ज़िन्दगी में बार बार सहारा नहीं मिलता,
बार-बार कोई प्यार से प्यारा नहीं मिलता,
हे जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो कभी दुबारा नहीं मिलत
कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से बनती है शायरी
कुछ चेहरे भी मुकम्मल ग़ज़ल हुआ करते हैं
Ek Tere Na Rehne Se Badal
Jaata Hai Sab Kuch……
Kal Dhoop Bhi Deewar Pe
Poori Nahi Utri…
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye