हमने खड़े-खड़े साहिल पर शाम कर दी,
अपनी दुनिया आप के ही नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ये ज़िंदगी,
बिना सोचे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।
Tu hasi chand kisi aur ka sahi
Par tu mere andhere ki roshni he…
अपने इन् हाथों की लकीरों
को क्या देखता हो?
किस्मत तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते…
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो
जाये तो बडी तकलीफ देते हैं
मुझे ना सताओ इतना कि मैं रुठ जाऊं तुमसे,
मुझे अच्छा नहीं लगता अपनी साँसों से जुदा होना।