मेरी साँसों में आके बिखर जाओ तो अच्छा हो,
रूह बनके जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा हो,
एक रात गोद में तेरी सिर रख के सो जाऊं,
फिर वो रात कभी ख़त्म ना हो तो अच्छा हो।
अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते !
ये कैसा सरूर है तेरे इश्क का मेरे मेहरबाँ,
सँवर कर भी रहते हैं बिखरे बिखरे से हम!
याददाश्त की दवा बताने में सारी दुनिया लगी है !!!…
तुमसे बन सके तो तुम हमें भूलने की दवा बता दो…!!!
लगता है, मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनीयाँ में आपकी मौजूदगी, यूँ ही तो नहीं.!