तू मुझ में पहले भी थी तू मुझ में अब भी है
पहले मेरे लफ्जों में थी अब मेरी खामोशियों में है
लोग रूप देखते है ,हम दिल देखते है ,लोग सपने देखते है हम हक़ीकत देखते है,लोग दुनिया मे दोस्त देखते है,हम दोस्तो मे दुनिया देखते है
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा,मेरे इस दिल में ऐ सनम तेरे ख्वाब सजाऊंगा,आजमा के देख ले तेरे दिल में बस जाऊंगा,प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में सिमट जाऊॅंगा।
जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे