टूट कर चाहा था तुम्हे और तोड़
कर रख दिया तुमने मुझे.
आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए
ये ज़िन्दगी तेरी यादो से,
अब नासूर सी चुभती है,
किसे पता था मेरी दोस्त,
ये यादे ताज महल से बड़ी लगती है!
मेरी बहादुरी के किस्से कितने मशहूर थे इस शहर में,
पर तुझे खो जाने के डर ने मुझे कायर बना दिया...
उसको चाहा पर इजहार करना नही आया,
कट गयी उम्र हमें प्यार करने नही आया,
उसने कुछ माँगा भी तो मागी रजाई,
और हमे इंकार करना नही आया....