चलो ख़ामोशियों की गिरफ़्त में चलते है…बातें ज़्यादा हुई तो जज़्बात खुल जायेंगे
चलो ख़ामोशियों की गिरफ़्त में चलते है…
बातें ज़्यादा हुई तो जज़्बात खुल जायेंगे
अगर मुसीबतें है तो मुस्कुरा के चल,
आँधियों को पैरों तले दबा के चल,
मंजिलों की औक़ात नही तुझसे दूर रहने की,
विश्वास इस क़दर खुद में जगा के चल.
तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो…
दोस्त
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!!
रात है काफ़ी, ठंडी हवा चल रही है,
याद में आपकी किसी की मुस्कान खिल रही है,
उनके सपनो की दुनिया में आप खो जाओ,
आँख करो बंद ओर आराम से सो जाओ
तारे और इंसान में कोई फर्क नहीं होता,दोनो ही किसी की ख़ुशी के लिऐ खुद को तोड़ लेते हैं।