मैं दर्द का दरिया हूँ ,तुम सुकून का समन्दर हो जाना lडूबा लेना मुझको खुद में,मेरे लिए इश्क का कलन्दर हो जाना l
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।