तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा,हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा
वो शायद मतलब से मिलते हैं,
मुझे तो मिलने से मतलब है.!
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो.. मुझे भूल नहीं पाओगे!
वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”