जन्नत कैसी होती हैं यह तो पता नहीं, पर इश्क़ मुकम्मल हो जाए तो जिंदगी भी उससे कम नहीं.
पर इश्क़ मुकम्मल हो जाए तो जिंदगी भी उससे कम नहीं.
मुझे खामोश राहों मै तेरा साथ चाहिए,तनहा है मेरा हाथ तेरा हाथ चाहिए,जूनून-ई-इश्क को तेरी ही सौगात चाहिए,मुझे जीने के लिए तेरा ही प्यार चाहिए !!
मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है,
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
हम हवा नहीं जो खो कही जायेंगे,
वक़्त नहीं जो गुज़र जायेंगे,
हम मौसम नहीं जो बदल जायेंगे,
हम तो आंसू है जो ख़ुशी और
गम दोनों में साथ निभाएंगे.