दिल की धड़कन को कौन समझेगा।
मेरी उलझन को कौन समझेगा।
एक बेटी नहीं अगर घर में
घर के आंगन को कौन समझेगा।
ये मोहब्बत के हादसे अक्सर
दिलों को तोड़ देते हैं !
तुम मंजिल की बात करते हो
लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं !
Sadiya Guzar Gayi Kisi Ko Apna Bnane Me...
Magar Pal Bhi Na Laga Unhe Hamse Door Jane Me...
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था,
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था,
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को,
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था..
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!