किसी के पैरों में गिरकर प्रतिष्ठा पाने के बदलेअपने पैरों पर चलकर कुछ बनने की ठान लो
किसी के पैरों में गिरकर प्रतिष्ठा पाने के बदले
अपने पैरों पर चलकर कुछ बनने की ठान लो
घमंड ही नहीं गुरुर है अपने किसान होने का।
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की
अहंकार” और “संस्कार” में फ़र्क़ है…
“अहंकार” दूसरों को झुकाकर कर खुश होता है,
“संस्कार” स्वयं झुककर खुश होता है..!
ज़िन्दगी जब भी मुझे लगा मैंने तुझे पढ़ लिया,लेकिन न जाने क्यों कम्बख़्त तूने एक और पन्ना खोल दिया
ज़िन्दगी जब भी मुझे लगा मैंने तुझे पढ़ लिया,
लेकिन न जाने क्यों कम्बख़्त तूने एक और पन्ना खोल दिया
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.