तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँतुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँहै मेरी दोस्ती में इतना दम तेरी आँख काआँसू आपनी आँख से गिरा सकता हूँ !
तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँ
तुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँ
है मेरी दोस्ती में इतना दम तेरी आँख का
आँसू आपनी आँख से गिरा सकता हूँ !
ये सर्द शामें भी किस कदर ज़ालिम है,बहुत सर्द होती है, मगर इनमें दिल सुलगता है।
तूने रुख से नक़ाब क्या उठाया,
कम्बखत दिल मुँह को होने लगा,
शर्मा कर , सितारे हैं छुपने लगे,
महताब बादलों से जो निकलने लगा
एहसान करो तो दुआओ में मेरी मौत मांगना
अब जी भर गया है जिंदगी से !
एक छोटे से सवाल पर
इतनी ख़ामोशी क्यों ….?
बस इतना ही तो पूछा था-
“कभी वफ़ा की किसी से…
अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते !