मुस्कुरा के देखो तो सारा जहॉ रंगीन है…वरना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है..
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहॉ रंगीन है…
वरना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है..
ये ना पूछ कितनी शिकायतें हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
सिर्फ इतना बता की तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नहीं।
ना छेड किस्सा-ए-उल्फत, बडी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा, किसी की बात मानी है,,,,,,।।
वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता
मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।