अब ये न पूछना के मैं अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ।
अब ये न पूछना के मैं अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ।
Apni tanhaayi se tang aa kar..
Bahut se aainey khareed laya hun …
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
तय है बदलना, हर चीज बदलती है इस जहां में,
किसी का दिल बदल गया, किसी के दिन बदल गए।
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।