“आदमी ज़िंदगी में उतना ही बड़ा कर सकता है,
जितना बड़ा वह सोच सकता है.”
Aaj Ka Suvichar
आकाश से ऊँचा कौन – पिता
धरती से बड़ा कौन – माता
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो,यकीन मानो वक्त बेहतरीन जवाब देगा।
कितने मूर्ख हैं
हम भगवान के बनाए फलों को भगवान को ही अर्पण करके धन दौलत माँगने लगते हैं
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”