सभी के दीप सुन्दर है,हमारे क्या,तुम्हारे क्या lरौशनी है ये बड़ी बात है,इस किनारें क्या, उस किनारें क्या l
जब से बाजी, वफा की हारे हैं.
दोस्तों, हम भी गम के मारे हैं.
तुम हमारे सिवा,सभी के हो,
हम किसी के नहीं,तुम्हारे हैं
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो।
मत पूछ कैसे गुज़र रहा है हर पल मेरा तेरे बिना,कभी बात करने की हसरत कभी मिलने की तमन्ना…
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है..