ज़िंदगी तेरी ये हमसे नराजगी कैसी है,ख्वाबों को छीनने की तेरी ये जिद कैसी है,तिनका-तिनका जोड़ सपनों को जोड़ा है,यूँ अचानक इन्हें तोड़ने की आदत कैसी है l
Dil Ki Dahleez Par Rakh Kar Teri Yaadon Ke ChiraagHumne Duniyan Ko Mohabbat Ke Ujaale Bakhshey
मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा,
यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……
Chhed Aati Hain Kabhi Lab Ko Kabhi Rukhsaro Ko,
Tumne Zulfon Ko Bahut Sar Chada Rakha Hai.
इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,
मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”