वो मिलते है,तो आँखों में बस जाते है,चेहरे पे आते उनके बालो में,हम उलझ जाते है lकैसे कहे कितनी मोह्हबत है,लफ्ज़ कम पड़ जाते है l
Itna Betaab Na Ho, Mujhse Bichaadne Ke Liye ,
Zaraa Thair Ja.
Tujhe Sirf Ankho Se Hi Nahi Dil se Bhi Juda Karna Hai…
इकरार में शब्दों की एहमियत नही होती,
दिल के जज़बात की आवाज़ नही होती,
आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्तान,
मोहब्बत लफज़ो की मोहताज़ नही होती!
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
हम तस्लीम करते हैं,
हमें फुर्सत नहीं मिलती,
मगर ये भी ज़रा सोचो,
तुम्हें जब याद करते हैं,
ज़माना भूल जाते हैं|