"काश! कोई इस रात की सहर रोक लेता,आज फिर मुझे कोई घर रोक लेता l"
मै खुद लिखता हूँ मोहब्बत
तुम आइने को संवार लो
मै अपनी खुशबु बिखेर देता हूँ
तुम अपनी जुल्फों को सवार लो
तुम इक घड़ी, इक पल, इक लम्हा..मेरे साथ बिताने का वादा तो करो..मैं हँस कर कई साल, कई सदियाँ...कई जिंदगी तुम्हारा इंतजार कर लूँगा.!!
“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं”….
मैंने दबी आवाज़ में पूछा - "मुहब्बत करने लगी हो?"नज़रें झुका कर वो बोली - "बहुत"