"जैसे बहती नदी, किनारों पे निशान छोड़ जाती है,जुगनू अँधेरे में अपनी, अलग पहचान छोड़ जाती है,कभी गुजरती है रेल पुल पे, मुझे सुनाई नहीं देता,तुम्हारे साथ होकर, ज़िंदगी पहचान छोड़ जाती है l"
तय है बदलना, हर चीज बदलती है इस जहां में,
किसी का दिल बदल गया, किसी के दिन बदल गए।
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….
बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई होती है…
जैसे ही ये आता है.फ़ालतू के दोस्त विदा हो जाते हैं…!!!
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा,मेरे इस दिल में ऐ सनम तेरे ख्वाब सजाऊंगा,आजमा के देख ले तेरे दिल में बस जाऊंगा,प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में सिमट जाऊॅंगा।