चार दीवारों के अलावा भी,घर में कुछ होता है,दो बाहें होती है औरएक दिल होता है...
मेरी खमोशियो के राज़ ख़ुद मुझे ही नहीं मालूम…
जाने क्यू लोग मुझे मगरूर समझते है…
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!
Bin tere mujko Zindagi se khauff lagta hai
Kisto Kisto mein marr raha hu aisa roz lagta hai…