लिया हो जो न आपने ऐसा कोई इम्तिहान न रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा,
है कोई बस्ती जहाँ से न उठा हो जनाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रिस्तान न रहा।
बेवफाओं की दुनिया से लफ्जों को आज भी शिकायत है......जान बूझ कर इस्तेमाल नहीं करते, फिर लगाते तोहमत है . ! !
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।
Meri yadon se agar bach niklo to waada mera hai tumse,
Main khud duniyaa se keh doon ga ke kammi meri wafaa mein thi..!