इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
Ye mout bi badi ajeeb chiz hei yaro…
Sala Ek Din Marne ke liye Puri Zindgi Jini padTi hey…