मुझसे पहले वो किसी और की थी , मगर कुछ शायराना चाहिए था । ।
चलो माना ये छोटी बात है , पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था ।
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।
चलो फ़िर से हौले से मुस्कुराते हैं,बिना माचिस के ही लोगों को जलाते हैं।
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।
यूं तो हर दिल में एक कशिश होती है
हर कशिश में एक ख्वाहिश होती है
मुमकिन नहीं सभी के लिए ताज महल बनाना
लेकिन हर दिल में एक मुमताज़ होती है