“हर वक्त मुस्कुराना फितरत हैं हमारी,
आप यूँ ही खुश रहे हसरत हैं हमारी,
आपको हम याद आये या ना आये,
आपको याद करना आदत हैं हमारी.”
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
फेर लेते हैं नज़र, दिल से भुला देते हैं,
क्या यूँ ही लोग वाफ़ाओं का सिला देते हैं,
वादा किया था फिर भी ना आए मज़ार पर,
हमने तो जान दी थी इसी ऐतबार पर!!
आ गया है फर्क तुम्हारी नजरों में यकीनन…
अब एक खास अंदाज़ से नजर अंदाज़ करते हो हमे…
तेरी आवाज़ सुनने को तरसे है मन मेरा,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है मन मेरा,
अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा तेरे साथ गुजारु,
हर पल बस यही चाहता है मन मेरा!!