Thou has a thousand eyes and yet not one eye; Thou host a thousand forms and yet not one form.
जिसकी नीति अच्छी होगी,
उसकी हमेशा उन्नत होगी,
“मैं श्रेष्ट हूँ”… यह आत्मविश्वास है,
लेकिन
“सिर्फ मैं ही श्रेष्ट हूँ”…यह अहंकार है।
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते
इसलिए उन्होंने माँ को बनाया
मीठी जुबान, अच्छी आदतें,
अच्छा व्यवहार और अच्छे लोग, हमेशा सम्मानित होते हैं।
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!