है जिंदगी माना दर्द भरी;
फिर भी इसमें ये राहत है;
कि मैं हूँ तेरा और तू है मेरी;
काश यूंहीं रहें हम, ये चाहत अब भी है।
सालगिरह मुबारक।
इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए
आपको खुशियों का संसार नज़र आएगा
किस लोभ से “किसान” आज भी, लेते नही विश्राम हैं,
घनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं
शिक्षा के प्रति प्रत्येक किसान को जागरूक होना चाहिए तभी उनका जीवन बेहतर हो सकता हैं.
मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए आपका अभिमान मर जाएगा
आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए आपका पत्थर दिल पिघल जाएगा
छोटी-छोटी बातें दिल में रखने से,
बड़े-बड़े रिश्ते कमज़ोर हो जाते हैं,
बड़ी सोच बड़ा दिल, ज़िन्दगी की हर सुबह खुशहाल बनाते हैं।