और इतनी भी उदासी किस काम की
थोड़ा इश्क़ करलो वरना जिंदगी किस काम की
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
हमने चाहा था जिसे उसे दिल से भुलाया न गया,
जख्म अपने दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी प्यार करता है दिल उनसे,
कि बेवफाई का इल्ज़ाम भी उस पर लगाया न गया।
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!
कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….