बंदा नहीं है कोई टक्कर
का आज की तारीख में,
इसीलिए लफ्ज कम पड़
जाते है हमारी तारीफ़ में..!!
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
कमाल तेरे नखरे,
कमाल का तेरा स्टाइल है;
बात करने की तमीज नहीं,
और हाथ में मोबाइल है!!
😄😄😄😄😝😝
Tu saath hokar bhi saath nahi hoti
Ab toh rahat mein bhi rahat nahi hoti…
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।