ये भी एक तमाशा है
इश्क और मोहब्बत में
दिल किसी का होता है और
बस किसी का चलता है.
हमसफ़र खूबसूरत नहीं
बल्कि सच्चा होना चाहिए
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
काश यह जालिम जुदाई न होती!
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती! न
हम उनसे मिलते न प्यार होता!
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!