पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया,
शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया.
दुःख में इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में इंसान ईश्वर को भूल जाता है।
अगर सुख में भी इंसान ईश्वर के करीब रहे तो दुःख ही क्यों हो
यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है!
तो एक अकेला जुगनू भी सब अंधकार हर लेता है!!
पापा मिले तो मिला प्यार,
मेरे पापा मेरा संसार,
खुदा से मेरी इतनी सी दुआ है इस बार
मेरे पापा को मिले खुशियाँ अपार
डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर.
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर…..!!