कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना हैं आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था.
टूटे हुए दिलो की जरुरत बहुत हैंवरना महफ़िल में रंग जमायेगा कौनजब टूटेगा ही नहीं दिल किसी कातो मयखाने में पीने आएगा कौन.
अब कभी हम ना मिलेंगेएक बार जुदा होने के बादअब बता देना मुश्किलों को भीनया घर तलाश कर लोसारी मुश्किलें ख़त्म हो जाएँगीतुझसे बिछड़ने के बाद
न मेरा एक होगा , न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी ,न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा , तेरा भी खाक होगा
Jis ke naseeb mein hon zamaney ki thokarein…!!
Us bad-naseeb sey na sahar’on ki baat ker…