रफ़्तार कुछ इस
कदर तेज है जिंदगी
की,
कि सुबह का दर्द
शाम को पुराना हो
जाता है
इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता
बस वक्त अच्छा और बुरा होता है
जिनका कद ऊँचा होता है
वो दूसरों से झुक कर ही बात करते हैं
उम्मीद ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाये,
मंजिल ऐसी ही जो जीना सिखलाये,
जीना ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे,
रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मजबूर करें।
किसी गरीब की झोली में,
जब मैंने एक सिक्का डाला,
तब पता चला कि –
महंगाई के इस दौर में,
दुआएं, आज भी कितनी सस्ती हैं।