भागते बचपन में भी थे
भागते आज भी है...
बस्ता तो वही है साहब
बस किताबों की जगह
जिम्मेदारियां ले ली है..!!
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
खुशबू बन कर मेरी सांसो में रहना,
लहू बन कर मेरी रग रग में बहना,
दोस्त होते हैं रिश्तों का अनमोल गहना,
इसलिये हर रोज़ सुबह हम से Good Morning कहना।
जिस प्रभात से, परमात्मा का स्मरण हो जाये,
वह प्रभात, सुप्रभात हो जाता है।
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती