भागते बचपन में भी थे
भागते आज भी है...
बस्ता तो वही है साहब
बस किताबों की जगह
जिम्मेदारियां ले ली है..!!
जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं
केवल उन्हीं का जीवन सफल है,
अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते !
जो ज़मीं के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते !
सुप्रभात ॥