लोगों को पता नहीं कैसे सच्चा
प्यार मिल जाता है...
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हमें तो सुबह पलंग के नीचे
उतारी चप्पल नहीं मिलती।
😝😝
कोई मिला नहीं तुम जैसा आज तक,पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही
टीचर :- 'एक पन्त, दुई काज'
मुहावरे को वाक्य में प्रयोग करो..?
विद्यार्थी:-मुन्शी दास मूतन गए..।
मूतन लग गई पाद..।।
पादत-पादत.. हग दियो..।
एक पन्त, दुई काज..।।.
😄😄😄😄😄😄😄
ना पैसा लगेगा, ना खर्चा लगेगा ।
स्माइल कीजिए, अच्छा लगेगा ।
छोटी सी Life है,
हँस के जियो।
भुला के गम सारे,
दिल से जियो।
अपने लिए न सही,
अपनों के लिए जियो।
कोन सा जियो का बिल भरना है दिल लगा के जियो
खो गयी है मंजिले, मिट गए है सारे रस्ते,
सिर्फ गर्दिशे ही गर्दिशे, अब है मेरे वास्ते.
काश उसे चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता
न प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान न होता.