सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो।
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गयेहो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसेमेरी इबादत बन गये हो तुम।
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गये
हो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसे
मेरी इबादत बन गये हो तुम।
वो दिल ही क्या जो तुझसे मिलने की दुआ न करे,
ए सनम.......
में तुझको भूल कर जिन्दा रह सकूं ऐसा रब्ब न करे.
कुछ अजीब सा रिश्ता है
उसके और मेरे दरमियां
ना नफरत की वजह मिल रही है
ना मोहब्बत का सिला
कितनी जल्दी ये शाम आ गई;
गुड नाईट कहने की बात याद आ गई;
हम तो बैठे थे सितारों की महफ़िल में;
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गई.