बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या खूबी है उसमें, वो मुझे याद नहीं करती, मैं उसको भूल नहीं पाता ..
शुभचिंतक वो नही होते जो आपसे रोज़ मिलें और बातें करें...
शुभचिंतक वो है जो आपसे रोज़ ना भी मिल सकें
फिर भी आपकी ख़ुशी के लिए प्रार्थना करें...
सुप्रभात
तेरे सिवा कौन समा सकता है मेरे दिल में……रूह भी गिरवी रख दी है मैंने तेरी चाहत में !!