उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से
तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.