शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
बैंक मैनेजर: ये क्या अजीब सा हस्ताक्षर है?“@/e”संता: ये हस्ताक्षर मेरी दादी के हैं!बैंक मैनेजर: ऐसा अजीब सा हस्ताक्षर? क्या नाम है उनका?संता: जलेबी बाई…
ना छेड किस्सा-ए-उल्फत, बडी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा, किसी की बात मानी है,,,,,,।।
बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,और टपकते अश्क की हर बूंदवफ़ा का इज़हार करती है........डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनियामौत का दीदार करती है..........ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की... और कहेना,के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाशउनके आँचल का इंतज़ार करती है..........
पहले नमकफिर निम्बू और अब चारकोल आ गया है.. टूथपेस्ट में।..अरे जालिमो ... अल्कोहल डाल दो,मजा आ जाये सुबह -सुबह.