मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से
तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
हम तो अकेले ही चले थे मंजिले सफर
लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
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कबीर बेदी
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….
Khushbu ki tarah aapke paas bikhar jaunga,Sukun bankar dil mein utar jaunga.Mehsus karneki koshish kijiye,Door hokar bhi paas nazar aounga…
हसीना से मिलें नजरें अट्रैक्शन हो भी सकता है,
चढ़े फीवर मोहब्बत का तो एक्शन हो भी सकता है,
हसीनों को मुसीबत तुम समझ कर दूर ही रहना,
ये अंग्रेजी दवाएं हैं रिएक्शन हो भी सकता है।