मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू ,सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को ,चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है| कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है ,क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी ,मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
चिराग कोई जलाओ की हो वजूद का एहसास,
इन अँधेरों में मेरा साया भी छोड़ गया मुझको !!!
ना छेड किस्सा-ए-उल्फत, बडी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा, किसी की बात मानी है,,,,,,।।
पत्नी-You never gifted me diamont, pearls,goldपति मुट्ठी भर मिट्टी देता हपत्नी-ये क्यापति-मेरे देश की धरती सोना उगले,उगले हीरे मोतीपति बेघर ह