मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू ,सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को ,चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है| कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है ,क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी ,मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|
“उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है,
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है,
तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं देता,
हम क्या करें कि तुझसे हमें प्यार बहुत है।
मक्के की रोटी नींबू का अचार
सूरज की किरणें खुशियों की बहार
चांद की चांदनी अपनों का प्यार
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार
हैप्पी होली
अब तू नहीं है दुनिया में,
हु अकेला वही खड़ा,
तू मुमताज़ तो बन गयी
मै रह गया निचे पड़ा!
गुलाब को भी कमल बना देते,
उसकी एक अदा पे कई ग़ज़ल बना देते…
कम्भख्त मरती नहीं मुझ पर लडकियां,
वरना लखनऊ में भी ताजमहल बना देते…