दिन बीत जाते है
कहानी बनकर
यादें रह जाती है
निशानी बनकर
पर रिश्ते हमेशा रहते है
कभी होंठो की
मुस्कान बनकर
तो कभी आँखो का
पानी बनकर.........
ना मुस्कुराने को जी चाहता हैं,
ना कुछ खाने-पीने को जी चाहता हैं,
अब ठंड बर्दास्त नही होती,
सब कुछ छोडकर रजाई में घुस जाने को जी चाहता हैं
अपने दिल की जमाने को बता देते हैं, हर एक राज से परदे को उठा देते हैं, आप हमें चाहें न चाहें गिला नहीं इसका, जिसे चाह लें हम उसपे जान लुटा देते हैं।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना हैं आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था.
रेलवे स्टेशन पर…
बेगम: प्यास लगीं है पानी तो ला दो
शेख: कयो ना चिकन बिरयानी खिलाऊ?
बेगम: वाह मुँह मैं पानी आ गया
शेख: बस इसी पानी से काम चला लो!!