लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
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कबीर बेदी
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं
“इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा है,
जो मरते दम तक साथ जाता है,
ये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैं,
कफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है.”
पापा: बेटा तुम चाहे पास हो या फेल मैं
तुम्हें बाइक जरूर दिलाऊंगा.
बेटा: थैंक्स पापा, आप बहुत अच्छे हैं.
पापा: पास हो गए तो कॉलेज जाने के लिए
और फेल हो गए तो दूध बेचने के लिए.
मुहब्बत खूबसूरत होती होगी किसी और ज़माने में
हमपे जो गुजरी है वो हम ही जानते हैं