“ये ठंड हवाओं के बीच,
उबलती हुई अदरक वाली चाय के स्वाद सी हो तुम,
मेरे लिए आज हुई पहली बरसात से हो तुम |”
मुझे, बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे है उसे पाने की चाहत में।
जब जुल्फें जो उनकी खुल गई
लगता है सावन आ गया..
..अब कौन रोकेगा घटाओ को घूमने से
लगता है बारिश का मौसम आ गया..!
मुझे बारिश से ज़्यादा तासीर है तेरी यादों मे
हम अक्सर बंद कमरे मे भी भीग जाते हैं
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ मैं घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का
उस को भला कोई कैसे गुलाब दे,
आने से जिसके खुद मौसम ही गुलाबी हो जाये.