मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ मैं घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का
ज़रा ठहरो , बारिश थम जाए तो फिर चले जाना
किसी का तुझ को छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
ये मौसम भी कितना प्यारा है,
करती ये हवाएं कुछ इशारा है,
जरा समझो इनके जज्बातों को,
ये कह रही हैं किसी ने दिल से पुकारा है।
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना,
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना.