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Student - Fayde to pata nahi, par beizatti saal mein do baar ho jati hai... :)
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना हैं आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था.
ना पापा की मार से, ना लड़की के इंकार से, ना चप्पलो की बौछार से
आशिक़ सुधरेंगे तो सिर्फ Raksha Bandhan के त्यौहार से..।
तेरी मौजूदगी महसूस वो करे जो जुदा हो तुझसे,मैंने तो अपने आप में तुझे बसाया है एक दोस्त की तरह।
इकरार बदलते रहते है… इंकार बदलते रहते हैं,
कुछ लोग यहाँ पर ऐसे है जो यार बदलते रहते हैं।