चाहत इतनी थी की उनको बताई न गई,
चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,
आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए
तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से…
जिद्द पर आऊँ तो..ख़ुदा भी ढूंढ लूँ …
Na Samet Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,
Kasam Tumhari Tumhein Itni Mohabbat Karte Hain.
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने सेऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।