वो हमारा जिक्र करें या ना करें
हमें उनकी फिक्र हमेशा रहती है
तरक्की मिल रही है शायरी से
हमें तुम्हारा जिक्र महंगा बिक रहा
ज़िक्र करते है तेरा हवाओं से अब
ये तूफ़ान बनके तेरे शहर से गुज़रे तो माफ़ करना
ये तेरा ज़िक्र है या इत्र है, जब-जब करती हूँ,महकती हूँ, बहकती हूँ, चहकती हूँ.
किसी हर्फ में किसी बाब में नहीं आएगा,तेरा ज़िक्र मेरी किताब में नहीं आएगा.
तेरे इश्क से मिली है, मेरे वजूद को ये शौहरत,मेरा ज़िक्र ही कहाँ था, तेरी दास्ताँ से पहले.